दादी मां की सलाह
दादी मां की सलाह – धूर्त से हमेशा दूर रहना चाहिए
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एक बार, एक गाँव में एक धूर्त लोमड़ी रहती थी। वह बहुत चालाक और छली थी। गाँव के सभी लोग उससे डरते थे, क्योंकि वह अक्सर लोगों को धोखा देती थी।
एक दिन, गाँव में एक नया बूढ़ा आदमी आया। वह दयालु और भोला था। लोमड़ी ने सोचा कि यह बूढ़ा आदमी उसका शिकार बनने के लिए एकदम सही है।
लोमड़ी बूढ़े आदमी के पास गई और मीठी आवाज़ में बोली, “बाबा, मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ। तुम्हारे साथ दोस्ती करना चाहती हूँ।”
बूढ़ा आदमी लोमड़ी की मीठी बातों में आ गया। उसने सोचा कि लोमड़ी वास्तव में उससे दोस्ती करना चाहती है।
कुछ दिनों बाद, लोमड़ी बूढ़े आदमी के पास गई और बोली, “बाबा, मैं तुम्हें एक बहुत बड़ा खजाना दिखाना चाहती हूँ।”
बूढ़ा आदमी लोमड़ी के साथ जंगल में गया। लोमड़ी उसे एक गुफा में ले गई। गुफा में सोने के सिक्के बिखरे हुए थे।
बूढ़ा आदमी सोने के सिक्कों को देखकर लालच में आ गया। उसने सोचा कि यह बहुत बड़ा खजाना है।
लोमड़ी ने कहा, “बाबा, यह खजाना तुम्हारा है। इसे अपने घर ले जाओ।”
बूढ़ा आदमी सोने के सिक्कों को उठाने लगा। जैसे ही उसने सोने के सिक्कों को छुआ, गुफा का दरवाजा बंद हो गया।
बूढ़ा आदमी गुफा में फंस गया। लोमड़ी ने गुफा के बाहर से कहा, “तुम्हें धोखा देने में मुझे बहुत मजा आया। अब तुम यहाँ से कभी नहीं निकल पाओगे।”
बूढ़ा आदमी बहुत पछतावा। उसने अपनी गलती समझ ली। उसने महसूस किया कि धूर्त से हमेशा दूर रहना चाहिए।
*सीख:*
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें धूर्त लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए। धूर्त लोग हमेशा हमें धोखा देने की कोशिश करते हैं। हमें उनकी मीठी बातों में नहीं आना चाहिए।
*दादी मां की सलाह:*
दादी मां ने कहा, “बेटा, हमेशा याद रखना कि धूर्त लोग हमेशा अपने फायदे के लिए सोचते हैं। वे कभी भी दूसरों की भलाई नहीं करते हैं। इसलिए, हमें उनसे हमेशा दूर रहना चाहिए।”
हर्षा दलवाड़ी तनु