ANIMAL STORIES FOR CHILDREN IN HINDI

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कहानी १:   “ढोंगी बगुला”

एक बार एक नदी के तट पर एक झुंड रहता था। ये सभी पशु अपनी-अपनी जगह खुश और संतुष्ट थे। उनमें ऊदबिलाव, कछुआ, हिरण, खरगोश और चूहा शामिल थे। उनमें से हर किसी ने नदी से पानी पिया, उसके किनारे चरने गए, और जब सूरज डूबता है तो घर लौटते हैं। यह दिनचर्या बहुत समय तक चलती रही।एक दिन, उन्होंने नदी के उस तरफ देखा जहाँ वे पहले कभी नहीं गए थे। वहाँ, उन्होंने मूंगफली के खेतों से भरी एक बड़ी, उपजाऊ भूमि देखी। वे सब उत्सुक थे और तय करते हैं कि अगले दिन वे सभी इस नई जगह का पता लगाएँगे। उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि यह नई जगह खतरनाक प्राणियों, जैसे मगरमच्छ और जहरीले सांपों का घर था। इन खतरों के बावजूद, पशुओं ने अपने नए पड़ोसी बकरी के सलाह को नजरअंदाज कर दिया, जिसने उन्हें बताया था कि उस जमीन में कदम रखना सबसे अच्छा है।

अगले दिन, पशु दल ने नया इलाका खोजना शुरू कर दिया। उथल-पुथल के दौरान, चतुर ढोंगी बगुले, जो हमेशा धोखेबाज़ होता है, ने झुंड के सदस्यों को बहकाना शुरू कर दिया। उसने कहा कि उनके वर्तमान घर में सीमित खाद्य आपूर्ति थी, इसलिए यदि वे पास के मूंगफली के खेतों में जाते हैं, तो उन्हें भरपूर आहार मिल सकता है। बकरी ने यह कहकर सतर्क करने की कोशिश की कि नदी के उस तरफ कई खतरे हैं, लेकिन उसकी चेतावनियों को बहरे कानों पर गिरा दिया गया। ढोंगी बगुला ने सफेदपोश बदमाशी करके हिरन, खरगोश और चूहे को पक्का कर लिया कि रात में वे सबके सोते समय वहां चले जाएं। इसके बाद, धोखेबाज बगुला और उसके साथी मूंगफली के खेतों के आसपास घूमने लगे। जब आधी रात हुई, तो ढोंगी बगुला झुंड के पास लौटकर आया और सभी पशुओं से फुसफुसाकर कहा, “सभी पशु, आपको बधाई! हमने पास के खेतों में मूंगफली की फसल इकट्ठा कर ली है। अब हम भरपूर आहार का आनंद उठा सकेंगे।” सभी जानवर खुश थे, उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि ढोंगी बगुला ने उन्हें धोखा दिया है।

बकरी ने खतरे की घण्टी बजाने की बहुत कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नदी के उस पार के सभी पशुओं को जहरीले सांपों और मगर ने पकड़ लिया, जबकि ढोंगी बगुला और उसके साथी नदी के इस पार अपने आरामदायक घरों में सोते रहे। अगली सुबह, जब सच्चाई उजागर हुई, तो बकरी ने अफसोस जताया कि उसने सभी पशुओं को खतरे के बारे में पहले क्यों नहीं बताया? तभी से सभी पशुओं ने ढोंगी बगुले और उसके छल से सावधान रहने का संकल्प लिया।

कहानी २; “साहसिक खरगोश”

एक समय की बात है, एक जादुई भूमि में एक छोटा सा गाँव बसता था। वहाँ सभी प्रकार के जीव-जन्तु एक साथ रहते थे, जैसे मनुष्य, पशु, पक्षी और यहाँ तक कि कल्पित बौने भी। उनमें से एक खरगोश था, जिसने शहर के सभी जानवरों के लिए साहस की कहानियाँ गढ़ना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। एक अंधेरी रात, खरगोश अपने आरामदायक बिल में सो रहा था, अचानक उसे हवा में सरसराहट सुनाई दी। उसने ऊपर देखा और चमकते हुए तारों से सजी आकाशगंगा को उड़ते हुए देखा। अचानक, एक रहस्यमय परी उतर आई और खरगोश से कहा कि उसे उसकी सहायता की आवश्यकता है।

परी ने समझाया कि उसने एक भविष्यवाणी सुनी थी कि अगली पूर्णिमा की रात को एक महान बुराई आएगी और भूमि पर कहर ढाएगी। भयावह खतरे को टालने के लिए, उसे शक्तिशाली औषधि प्राप्त करने के लिए दूसरे छोर पर खतरनाक पहाड़ों पर चढ़ना होगा। बदले में, खरगोश को पहाड़ों के रक्षकों को पछाड़ने और जादुई औषधि चुराने के लिए अपने चतुर दिमाग और अद्वितीय सहनशक्ति का उपयोग करना होगा। खरगोश इस खतरनाक कार्य को करने के लिए सहमत हो गया क्योंकि वह अपने सभी साथी जीवों को बचाना चाहता था। उसने अपने मजबूत पैरों और तेज इंद्रियों का उपयोग करके रक्षकों को चकमा दिया, आखिरकार वह औषधि के साथ सफलतापूर्वक अपनी जादुई भूमि लौट आया। जब पूर्णिमा की रात आई, तो खरगोश ने उत्सुकता से उस भविष्यवाणी के आने का इंतजार किया, लेकिन उसने कुछ भी नहीं देखा। सभी जानवर निडर होकर सो गए।

जब सुबह हुई, तो खरगोश ने खबर फैला दी कि खतरा टल गया है। सभी जीव-जन्तु खुश हो गए और फिर कभी नहीं डरने का वादा किया। तभी से, खरगोश को उसके असाधारण साहस और समस्या-समाधान क्षमताओं के लिए सम्मानित किया गया। अब भी, जब बच्चों को सोते समय कहानी सुनाई जाती है, तो वे खरगोश के अविश्वसनीय साहस और भूमि को बचाने के लिए उसके अटूट समर्पण से चकित होते हैं।

कहानी ३: “दयालु हिरण”

एक जंगल में, काला नाम का एक कोमल हिरण रहता था। वह अपनी दयालुता और सहानुभूति के लिए जाना जाता था। एक दिन, भूखा लोमड़ी, कोका, काला से खाने के लिए भीख मांगता है। काला ने उसकी अनदेखी करने के बजाय, अपना खाना साझा किया, और वे दोस्त बन गए।समय बीतने के साथ, कोका की चालाक प्रकृति फिर से उभर आई, और उसने काला को खाने की साजिश रची। लेकिन काला की दयालुता ने उसे बदल दिया था, और वह उसे नुकसान नहीं पहुँचा सका। उसे एहसास हुआ कि सच्ची ताकत दयालुता और दोस्ती में निहित है।वे जंगल की खोज में एक साथ निकले, और जरूरतमंदों की मदद की। उनका बंधन मजबूत होता गया, और जंगल के प्राणियों ने उनकी दोस्ती का जश्न मनाया।

एक दिन, एक भीषण तूफान जंगल में आया, और कोका फंस गया। काला ने अपनी जान जोखिम में डालकर उसे बचाया, और वे एक साथ बच निकले।कोका को एहसास हुआ कि काला की दयालुता ने उसे हमेशा के लिए बदल दिया है। उसने वादा किया कि वह हमेशा उसके साथ रहेगा, जैसे काला उसके साथ रहा था।और इसलिए, प्यारे बच्चों, याद रखें कि दयालुता सबसे असंभव दोस्तों को भी बदल सकती है। जैसे काला और कोका, हम प्रेम, सहानुभूति और दोस्ती की दुनिया बना सकते हैं।

जैसे ही आप सोने जाते हैं, आपके सपनों में दयालुता हो, और आपका दिल हमेशा काला जितना कोमल बना रहे।

कहानी ४: “जंगल का एकता दिवस”

एक घने जंगल में, जहां विभिन्न प्रकार के जानवर रहते थे। वहाँ शेर, हाथी, गिलहरी, तोता, खरगोश, हिरण और कई अन्य जानवर थे। वे सभी एक-दूसरे से बहुत अलग थे, लेकिन एक बात में समान थे – वे सभी एक ही जंगल के निवासी थे।

रात्रि का समय था और मम्मी खरगोश अपने बच्चों को सुलाने की तैयारी कर रही थी। बच्चों ने कहा, “मम्मी, आज हमें एक कहानी सुनाओ।”

मम्मी खरगोश ने मुस्कराते हुए कहा, “ठीक है, आज मैं तुम्हें एक विशेष कहानी सुनाऊंगी। यह कहानी बताती है कि कैसे हमारी अनेकता में ही हमारी एकता है।”

एक दिन, जंगल में एक बड़ी सभा का आयोजन हुआ। शेर, जो जंगल का राजा था, ने सभी जानवरों को बुलाया। सभी जानवर उत्सुकता से सभा स्थल पर जमा हो गए।

शेर ने कहा, “प्रिय साथियों, हमारे जंगल में बहुत दिनों से शांति और सुख-शांति है। लेकिन, हम सभी जानते हैं कि जंगल में भी समस्याएँ आती हैं। हमें मिलकर इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए।”

हाथी ने अपनी भारी आवाज़ में कहा, “हाँ, शेर राजा। हमारे जंगल में पानी की कमी हो रही है। हमें इसका समाधान खोजना चाहिए।”

तोते ने सुझाव दिया, “हम सब मिलकर एक तालाब बना सकते हैं।”

गिलहरी ने उत्साहित होकर कहा, “मैं पेड़ों से पत्ते और लताएँ लाकर मदद करूँगी।”

सभी जानवरों ने अपनी-अपनी तरह से मदद करने का प्रस्ताव रखा। शेर ने प्रसन्न होकर कहा, “देखो, हमारे पास कितनी विविधता है, लेकिन जब हम सभी मिलकर काम करते हैं, तो हम एक मजबूत और सफल टीम बन जाते हैं। यह हमारी अनेकता में एकता की ताकत है।”

फिर, सभी जानवर मिलकर तालाब बनाने में जुट गए। हाथी और गिलहरी मिट्टी खोदने में मदद कर रहे थे, तोता और हिरण सामग्री इकट्ठा कर रहे थे, और सभी जानवर मिलकर तालाब को पूरा करने में अपना योगदान दे रहे थे।

कुछ ही दिनों में, उन्होंने एक सुंदर और बड़ा तालाब बना दिया। अब जंगल में पानी की कोई कमी नहीं थी, और सभी जानवर खुश और संतुष्ट थे।

रात के समय, जब सभी जानवर अपने घर लौटे, तो वे अपने बच्चों को यह कहानी सुनाने लगे कि कैसे उन्होंने मिलकर एक तालाब बनाया और एकता की ताकत को पहचाना।

मम्मी खरगोश ने बच्चों को बताया, “देखो बच्चों, हमारे जंगल के सभी जानवर अलग-अलग हैं। कोई बड़ा है, कोई छोटा, कोई तेज दौड़ता है, तो कोई धीमे। लेकिन जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। यही है अनेकता में एकता।”

बच्चे खुशी से बोले, “हम समझ गए, मम्मी! हम भी हमेशा मिलकर काम करेंगे।”

मम्मी खरगोश ने बच्चों को सुलाते हुए कहा, “अब सो जाओ, मेरे प्यारे बच्चों। सपनों में भी इस कहानी को याद रखना और हमेशा एकता की ताकत को मानना।”

बच्चे धीरे-धीरे सो गए, और उनके चेहरों पर मुस्कान थी। उन्होंने इस महत्वपूर्ण सबक को सीखा था कि विविधता में ही ताकत है, और एकता में ही शक्ति है।

और इस तरह, जंगल के जानवरों ने न केवल अपने बच्चों को बल्कि सभी को यह संदेश दिया कि “अनेकता में ही एकता है।”

कहानी ५:  “बलू की सूजबुज”

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एक समय की बात है, एक घना जंगल था जिसमें कई तरह के जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक भालू भी रहता था जिसका नाम बलू था। बलू बहुत ही समझदार और बहादुर भालू था, लेकिन उसमें एक खासियत थी कि वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था।

एक दिन, जंगल में एक बड़ी समस्या आ गई। एक क्रूर शिकारी ने जंगल में आकर जाल बिछाया और कई जानवरों को फंसा लिया। जानवर बहुत ही डर गए और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। बलू ने जब यह देखा, तो उसने तुरंत सोचा कि उसे अपने दोस्तों की मदद करनी चाहिए।

बलू ने सबसे पहले अपने दोस्त बंदर को बुलाया और कहा, “दोस्त, हमें इन जानवरों को बचाने का कोई उपाय सोचना होगा।” बंदर ने कहा, “हम जाल को काट नहीं सकते, लेकिन हम शिकारी को यहां से भगा सकते हैं।” बलू ने सिर हिलाया और सोचा कि यह सही उपाय हो सकता है।

फिर बलू और बंदर ने मिलकर एक योजना बनाई। बलू ने जंगल के अन्य जानवरों को भी इकट्ठा किया और उन्हें अपनी योजना के बारे में बताया। सभी जानवर तैयार हो गए और उन्होंने मिलकर शिकारी को डराने के लिए एक योजना बनाई।

अगली सुबह, जब शिकारी आया और उसने देखा कि उसके जाल में कोई जानवर नहीं है, तो वह बहुत गुस्सा हुआ। तभी बलू और उसके सभी दोस्तों ने मिलकर जोर-जोर से आवाज़ें निकालनी शुरू कर दीं और इधर-उधर दौड़ने लगे। शिकारी डर गया और सोचा कि यह कोई जादुई जंगल है। उसने तुरंत अपना सामान समेटा और वहां से भाग गया।

इस प्रकार बलू और उसके दोस्तों ने मिलकर अपने जंगल को बचा लिया। सभी जानवर बहुत खुश हुए और उन्होंने बलू का धन्यवाद किया। बलू ने कहा, “जब हम सभी मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं होती।”

इस कहानी से बच्चों को यह सीख मिलती है कि मिल-जुलकर काम करने से और एक-दूसरे की मदद करने से हम किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं। बलू की बहादुरी और उसकी समझदारी ने जंगल को बचा लिया और सभी जानवरों में एकता का संदेश दिया।

कहानी ६: कौए और हंस: दोस्ती और ईमानदारी की कहानी

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एक घने जंगल में, कौआ काकू और हंस राजू रहते थे। काकू चालाक और लालची था, जबकि राजू दयालु और ईमानदार था।

एक दिन, काकू जंगल में उड़ रहा था, तभी उसे एक पेड़ पर चमकता हुआ हीरा दिखाई दिया। उसने हीरे को नीचे गिराया और उसे अपने घोंसले में छिपा लिया। राजू ने काकू को हीरा छिपाते हुए देख लिया। उसने पूछा कि काकू ने हीरा कहाँ से लाया। काकू ने झूठ बोला कि उसने उसे जमीन पर पाया था। राजू को काकू पर विश्वास नहीं हुआ।उसने सच बोलने के लिए कहा, लेकिन काकू नहीं माना।अगले दिन, राजू काकू के घोंसले के पास गया।उसने देखा कि काकू हीरे को चमका रहा है और उसकी प्रशंसा कर रहा है।

राजू ने कहा, “यह हीरा तुम्हारा नहीं है। इसे किसी और को लौटा देना चाहिए।”

काकू गुस्से में बोला, “यह मेरा हीरा है। मैंने इसे पाया है।”

राजू ने कहा, “झूठ मत बोलो। हीरा लौटा दो।”

काकू ने राजू को भगा दिया।

कुछ दिनों बाद, एक शिकारी जंगल में आया।उसने काकू का घोंसला देखा और उसे नीचे गिरा दिया। हीरा जमीन पर गिर गया और शिकारी ने उसे उठा लिया।

काकू डर गया और उसने राजू से मदद मांगी।

राजू ने शिकारी से कहा, “यह हीरा काकू का है। इसे उसे वापस कर दो।”

शिकारी ने राजू की बात सुनी और हीरा वापस कर दिया।

काकू बहुत खुश हुआ और उसने अपनी गलती के लिए माफी मांगी।उसने वादा किया कि वह अब कभी झूठ नहीं बोलेगा।

दोनों दोस्त फिर से खुशी-खुशी रहने लगे।

यह कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी हमेशा सबसे अच्छी नीति होती है। सच्चे दोस्त मुश्किल समय में हमारी मदद करते हैं। लालच हमें गलत कामों की ओर ले जा सकता है।

कहानी ७: “बूढ़ा शेर”

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एक समय की बात है, घने जंगल में, एक बूढ़ा शेर रहता था। वह कमजोर था और उसके दांत गिर गए थे, इसलिए उसे खाने के लिए बहुत कम मिलता था। एक दिन, उसने अपने मन में सोचा, “मैं सबसे मजबूत और सबसे चतुर जानवर बनना चाहता हूं। अगर मैं ऐसा कर सकता, तो सभी जानवर मुझे सम्मान और भय देंगे।”

बूढ़े शेर ने कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया। उसने कई हफ्तों तक उपवास किया, और जब वह भूखा मरता तब कभी-कभी फलों और झाड़ियों पर हमला करता। उसके शरीर की ताकत कम हो गई, और उसकी हड्डियाँ कमजोर महसूस होने लगीं। आखिरकार, वह जमीन पर गिर गया और मर गया।

उसी रात, वन के अन्य जानवर एक बड़ी सभा में इकट्ठा हुए। सभी ने यह पता लगाने की कोशिश की कि बूढ़ा शेर इतनी जल्दी मरने का कारण क्या था। वे इस नतीजे पर पहुंचे कि वह शक्ति और ज्ञान के लिए तरस रहा था और इसने उसे नष्ट कर दिया था। एक बुद्धिमान उल्लू ने कहा, “हमें उसकी इच्छाओं से सबक लेना चाहिए।”

उल्लू ने समझाया, “अगर हम शक्ति, धन या यश के लिए बहुत अधिक तरसते हैं, तो हम अंततः मर सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम जीवन में संतुलन रखें। हमें समृद्ध होने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए, लेकिन अपनी भलाई और अपने आसपास के लोगों की भलाई को भी ध्यान में रखना चाहिए।”

सभी जानवरों ने उल्लू के शब्दों को हृदय में लिया, और उस दिन से उन्होंने संयम और संतुलन के साथ रहना सीखा। और इस तरह, छोटे और दयालु प्राणियों के बीच बुद्धिमान बूढ़ा उल्लू शांति और सद्भाव के साथ अपना जीवन व्यतीत करता था।

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हर्षा दलवाड़ी तनु

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