INDRA KA ASHIRWAD…A HINDI STORY

इन्द्र का आशिर्वाद

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एकल नाम का एक युवक रहता था। वह अपने गाँव के अन्य बच्चों से बहुत अलग था क्योंकि उसने कभी भी औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी। इसके बजाय, एकल में धनुष और तीर चलाने की अद्भुत प्रतिभा थी। वह अक्सर गाँव के पास जंगल में घंटों अभ्यास करते थे, और उनके तीर हमेशा सटीक और सही लक्ष्य पर लगते थे।

एक दिन, जब एकल काफी बड़ा हो गया, तो वह गाँव छोड़कर धनुष और तीर चलाने की कला सीखने के लिए जंगल में चला गया। उन्होंने वर्षों तक अथक अभ्यास किया और जल्द ही उनके कौशल इतने अच्छे हो गए कि सबसे मजबूत लकड़ी को भी उनके एक ही तीर से टुकड़ों में काटा जा सकता था।

एक दिन, जब वह जंगल में अभ्यास कर रहे थे, तो उन्होंने एक आवाज सुनी। यह भगवान इंद्र थे, जो एकल की महानता को पहचानते थे। भगवान इंद्र एकल की असाधारण प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए और उससे वरदान मांगने के लिए कहा। एकल ने कहा कि उसे भगवान इंद्र से किसी भी चीज़ की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसने पहले ही सब कुछ हासिल कर लिया है।

लेकिन भगवान इंद्र ने आग्रह किया, इसलिए एकल ने एक इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अगर वे खुश हैं, तो भगवान इंद्र को आशीर्वाद देना चाहिए कि उनका उपहार अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे। भगवान इंद्र सहमत हो गए, और इस तरह एकल ने गुरु द्रोणाचार्य के रूप में अवतार लिया, जो अगली सहस्राब्दी में हजारों युवाओं को उनकी अद्भुत प्रतिभा को उजागर करने में मदद करते थे।

यह कहानी दर्शाती है कि, आपके पास कितनी भी प्रतिभा या कौशल क्यों न हो, समर्पण और कड़ी मेहनत करके, आप अपने आसपास के लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

हर्षा दलवाड़ी तनु

 

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